डोन बान्दर घुमते-घुमते हेके गांवा लारे पुजती गेल्ले। वाण्हे उट्ठे हेक बण डेखले, जक्को फल लारे लडले पलते ले। हेक बान्दर ब़ोड़ला, ए बणा नूं डेख। ए बणा पे कितने आच्छे फल छी। मन्नू लागी ये फल घणे मीट्ठे छी। चाल अम्हीं ङोन्हीं जीणे यां फला नूं खाऊं। डूजा बान्दर समझदार हुत्ता। ओ सोचती कन्न ब़ोड़ला, ना खाऊं। हेक वारी सोच ई बण गांवा चे कितनी लारे छे। ए बणा चे फल आच्छे
हिमकी टिपणी