हेक जुवान हेक डियो इसड़ी जगा कन्‍नू निकड़ला जिट्‍ठे घणे सारे हाथी ब़ंधले पलते ले। अचानचक ओच्‍ची दीद हाथी चे पग पे गेल्‍ली ते ओ हा डेखती कन्‍न हेरान रहती गेल्‍ला की हेक बडा हाथी पतली जीं बरही लारे खूंटे लारे ब़ंधला पलता ला। हाथी चहावे आ ता हेके झटके लारे बरही तरोड़ती कन्‍न चाहला जाये आ मगर कुई ता कारण हुवी जक्‍को हाथी बरही तरोड़ती कन्‍न ना जायी पल्‍ला।

ओण्हे हाथी पालणे आल्‍ले कन्‍नू पूछले, ये हाथी इतनी पतली जां बरही लारे किवें ब़ंधले पल्‍ले। ओण्हे ओन्हूं जबाब डिल्‍ला, डेख जिसे बेल्हे ये हाथी घणे छोटे हुत्‍ते। ओ बेल्हे कन्‍नू अम्हीं यान्हूं इसड़ी बरही लारे ब़ांथे आऊ पल्‍ले। ओ बेल्हे ये बरही नूं तरोड़ने ची ताकत याचे मां कोन्हीं हुत्‍ती। जीवें-जीवें ये बडे हुत्‍ते गेल्‍ले याचे मन मां हा हुत्‍ते की अम्हीं ये बरही नूं ना तरोड़ सगू। ए सांगू ये बरही लारे ब़ंधले रिही वी ते किट्‍ठी वी ना जायी वी। हा बात सुणती कन्‍न ओ जुवान हक्‍का बक्‍का रहती गेल्‍ला।

सीख:- यूं अम्हीं वी आपणे मन ची हद मां रिहूं वी ते वान्हूं तरोड़ती कन्‍न उगते ना बध सगू वी। मन ची सोच ही अमचा रसता रोकली रिहे वे।

पंचांग

वरणमाला केदा

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